Champa rautela

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कबूतर जैसा

आज कहोगे नहीं कुछ लिखो, 


अब तुम मुझे लिखे हुए शब्दों से सुन लेते हो, 
तो सुनो, 

आज बस में खिड़की की तरफ वाली सीट ली मेने, 
तुम्हारी बहुत याद आयी, 
पर एक वाक़या देखा, 
रेड लाइट हो रखी थी मेरी नजर दूर डाले बाजारों पर गई  
कि कबूतरों को भी तो धूप लगती होगीं, 
इतनी चिलचिलाती धूप में भूख को हरा ना सके, 
ओर बाजरा खाने आ गए, 
उन्हें देख एहसास हुआ प्रकृति में बहुत कुछ हैं जो "जादूगरी हैं

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10 Comments

Babita patel

12-Mar-2023 03:55 PM

nice

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Abhinav ji

06-Sep-2022 07:41 AM

Very nice👍

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Achha likha hai 💐

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